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*💞 विवाह एक भरोसा है,समर्पण है ,तारीफ उस स्त्री की जिसने खुद का घर छोड़ दिया और धन्य है वो पुरुष,जिसने अंजान स्त्री को घर सौंप दिया : सात फेरे से बंधा अपना ये रिश्ता सात जन्मो का है ये बधनं प्रेम से परिपूर्ण है ! 💞*

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*पति-पत्नी* एक बनाया गया *रिश्ता*. पहले एक दूसरे को *देखा* भी था...अब सारी *जिंदगी* एक दूसरे के साथ।                     पहले *परिचित*,  फिर धीरे धीरे होता *परिचय*। धीरे-धीरे  होने वाला *स्पर्श* ,फिर *नोकझोंक,* *झगड़े,*...बोलचाल *बंद।* कभी *जिद*,  कभी *अहम का भाव*..... फिर धीरे धीरे बनती जाती *प्रेम पुष्पों* की *माला* फिर *एकजीवता,तृप्तता।*  वैवाहिक जीवन को *परिपक्व* होने में *समय* लगता है।धीरे धीरे जीवन में *स्वाद और मिठास* आती है...ठीक वैसे ही जैसे *अचार* जैसे जैसे *पुराना* होता जाता है, उसका *स्वाद* बढ़ता जाता है...... विवाह में सात फेरे ही क्यों लेते हैं? आखिर हिन्दू विवाह के समय अग्नि के समक्ष सात फेरे ही क्यों लेते हैं? दूसरा यह कि क्या फेरे लेना जरूरी है?  पाणिग्रहण का अर्थ : - पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से 'विवाह' के नाम से जाना जाता है। वर द्वारा नियम और वचन स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं। कालांतर में इस रस्म को 'कन्यादान' कहा जाने लगा, जो कि अ