अहं ब्रह्मास्मि 💞🌹🕉💐⛳🌹🙏
अहं ब्रह्मास्मि 💞🌹🕉💐⛳🌹🙏 साधारणतया 'अहं ब्रह्मास्मि' का अर्थ लोग 'मैं ही ब्रह्म हूँ', ऐसा लेते हैं परन्तु इसका यह यथार्थ अर्थ नहीं है। क्योंकि ये जीव ब्रह्म नहीं है। ब्रह्म होने से तो सभी प्राणी सर्व-शक्तिमान व अन्तर्यामी आदि अनन्त गुणों से विभूषित होते। जबकि वास्तविकता में संसार का कोई भी प्राणी ब्रह्म की तरह अनन्त गुण सम्पन्न नहीं है। शिवोऽहम् का अर्थ भी --'मैं शिव हूँ', ऐसा नहीं है। क्योंकि हरेक प्राणी पार्वती जी का पति नहीं हो सकता। पार्वतीजी तो हम सब जीवों की माता है। हमारे वैष्णवाचार्योंं ने 'अहं ब्रह्मास्मि' का अर्थ इस प्रकार से किया है - मैं ब्रह्म का हूँ। 'शिव' का अर्थ 'मंगलमय' होता है। अतः 'शिवोऽहम' का अर्थ होता है --- मैं मंगलमय भगवान का हूँ। श्रीमद् भागवत् महापुराण के अनुसार ब्रह्म व परमात्मा तो 'भगवान' शब्द के पर्यायवाची शब्द हैं। (भा…1/2/11) गीताजी के पन्द्रहवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्णजी ने जीव को अपना अंश कहा है। अर्थात् जीव भगवान न होकर भगवान श्रीकृष्ण का अंश है। गीताजी के ही सातवें अध्या...