अबके दीपावली में कुछ ऐसा , हम भी दीप जलाएं , जो अंतर मन के अँधेरे को , रौशनी से भर सके।💟 सादगी से भरा एक दीप , ऐसा भी तो जले , जैसे एक सनातनी साधु , का शश्वत जीवन , दीप की रौशनी में इतनी , प्रखर सुंदरता हो , देवत्व गुण से भरी दीवाली , भरा सा उपवन , भेद भाव को मिटाता राम , देवपुरुष बन उतर सके , जो अंतर मन के अँधेरे को , रौशनी से भर सके। तेरा मेरा से ऊपर , उठाकर अबके दीप जलाएं , तभी हमारा देश एक दिन , विश्व गुरु बनेगा , तमसो मा ज्योतिर्गमय , तभी होगा सार्थक , जब हर कलह द्धेष क्लेश , स्वतः मिट जाएगा , जीवन सौहार्द होगा जब , दुःख दरिद्र दूर कर सके , जो अंतर मन के अँधेरे को , रौशनी से भर सके। एक दीया उनको भी दे , जिनके घर में दीप नहीं , सीमा पर जो डेट खड़े हैं , भूले नहीं उनको भी हम , जो हमारे जीवन को प्रशश्त करे , और राह दिखाए , मानवता के जो रक्षक हो , ऐसे लोग तो अब है कम , सुख शांति बैभवता से , सबका जीवन गुज़र सके , जो अंतर मन के अँधेरे को , रौशनी से भर सके।💕💟 एक दीया उनकी खातिर , खो दिए हो जो विश्वास ,