मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है ! ( जीवन को सुख और स्वास्थ्य से भरपूर बनाने का त्यौहार उत्तरायण पर्व )


✨उत्तरायण महापर्व का लें पूरा लाभ...
जीवन को सुख और स्वास्थ्य से भरपूर बनाने का त्यौहार उत्तरायण पर्व  !
उत्तरायण विशेष → 14 & 15 जनवरी 

मकर संक्रांति → (पुण्यकाल :- सूर्योदय से सूर्यास्त तक)

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है।
मकर संक्रान्ति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है ।
पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है ।
यह त्योहार जनवरी माह के तेरहवें, चौदहवें या पन्द्रहवें दिन (जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है ) पड़ता है ।
मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ होती है ।
इसलिये इसको उत्तरायणी भी कहते हैं ।
तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल 'संक्रान्ति' कहते हैं ।

किस के लिए विशेष ?

१) जिनके जीवन में अर्थ का अभाव... पैसो की तंगी बहुत देखनी पड़ती है,

२) जिनको कोई बहुत परेशान कर रहा है,

३) जिनके शरीर में रोग रहते हैं... मिटते नहीं हैं |

उन सभी के लिए यह योग बहुत उत्तम है |

क्या करना चाहिए ?

१) नियमों का पालन कर सकें तो बहुत अच्छा... नमक -मिर्च बिना का भोजन करें |

२) आदित्यह्रदय स्त्रोत्र का पाठ भी जरुर करें... जितना हो सके 1/2/3 बार...

३) जो आप चाहते हैं... सुबह स्नान आदि कर के श्वास गहरा लेके रोकना...

गायत्री मंत्र बोलना... संकल्प करना... "हम ये चाहते हैं प्रभु !... ऐसा हो...

" फिर श्वास छोड़ना... ऐसा ३ बार जरुर करें फिर अपना गुरु मंत्र अथवा इष्ट मंत्र का जप करें |

४) सूर्य भगवान की पूजा करे |

सूर्य पूजन विधि :

१) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ, आरती करें |

२) जल में थोड़े चावल, शक्कर, गुड, लाल फूल या लाल कुमकुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |

विशेष सूर्य अर्घ्य मंत्र → ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः
इस मंत्र से सूर्यनारायण की वंदना कर लेना, उनका चिंतन करके प्रणाम कर लेना।
इससे सूर्यनारायण प्रसन्न होंगे, नीरोगता देंगे और अनिष्ट से भी रक्षा करेंगे।
रोग तथा अनिष्ट का भय फिर आपको नहीं सताएगा।
ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः
जपते जाओ और मन ही मन सूर्यनारायण का ध्यान करते जाओ, नमन करो।
फिर...
*ॐ सूर्याय नमः *
*ॐ रवये नमः *
*ॐ भानवे नमः *
*ॐ आदित्याय नमः *
*ॐ माकॅण्डाय नमः *
*ॐ भास्कराय नमः *
*ॐ दिनकराय नमः *
*ॐ दिवाकराय नमः *
*ॐ मरिचये नमः *
*ॐ हिरणगर्भाय नमः*
*ॐ गभस्तिभीः नमः *
*ॐ तेजस्विनाय नमः *
*ॐ सहस्त्रकिरणाय नमः *
*ॐ सहस्त्ररश्मिभिः नमः *
*ॐ मित्राय नमः *
*ॐ खगाय नमः *
*ॐ पूष्णे नमः *
*ॐ अर्काय नमः *
*ॐ प्रभाकराय नमः *
*ॐ कश्यपाय नमः *
*ॐ श्री सवितृ सूर्य नारायणाय नमः *

उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण के इन नामों का जप विशेष हितकारी है।

यह मंत्रोच्चार करने के पश्च्यात सूर्य भगवान को प्रार्थना करे की हमें निरोगी बनाये |

उत्तरायण देवताओं का प्रभातकाल है। इस दिन तिल के उबटन व तिलमिश्रत जल से स्नान, तिलमिश्रित जल का पान, तिल का हवन, तिल का भोजन तथा तिल का दान सभी पापनाशक प्रयोग हैं ।

सूर्यास्त के बाद कोई भी तिलयुक्त पदार्थ नहीं खाना चाहिए।


कृपया जान लीजिये कि संक्रान्ति अब 15 जनवरी को क्यों हो रही है ?
        वर्ष 2008 से 2080 तक मकर संक्राति 15 जनवरी को होगी। विगत 72 वर्षों से (1935 से) प्रति वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़ती रही है।

2081 से आगे 72 वर्षों तक अर्थात 2153 तक यह 16 जनवरी को रहेगी। ज्ञातव्य रहे, कि सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश (संक्रमण) का दिन मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। इस दिवस से, मिथुन राशि तक में सूर्य के बने रहने पर सूर्य उत्तरायण का तथा कर्क से धनु राशि तक में सूर्य के बने रहने पर इसे दक्षिणायन का माना जाता है।

सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनिट विलम्ब से होता है। स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षो में पूरे 24 घंटे का हो जाता है। यही कारण है, कि अंग्रेजी तारीखों के मान से, मकर-संक्रांति का पर्व,72 वषों के अंतराल के बादएक तारीख आगे बढ़ता रहता है।

विशेष:-यह धारणा पूर्णतः भ्रामक है,कि मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को आता है।

❤🕉🚩एक बीज , जड़ों , तानों , शाखाओं , पत्तियों , फूलों और फलों के रूप में अभिवयक्त होता है . इन सभी के अलग -अलग रूप , रंग और गुण होते हैं . फिर भी हम बीज के माध्यम से उनकी एकता के सम्बन्ध को पहचानते हैं .💐🙏

𝑽𝑨𝑰𝑲𝑼𝑵𝑻𝑯𝑨  𝑬𝑲𝑨𝑫𝑨𝑺𝑯𝑰...

🚩 The importance of Vaikuntha Ekadashi is mentioned in Padma Purana. It is believed that the Devas, unable to resist the tyranny of Muran, a demon, approached Bhagwan Shiva, who directed them to Shri Vishnu. There was a battle between Shri Vishnu and the demon. Shri Vishnu realised that a new weapon was needed to kill Muran.

🚩 When Muran tried to kill Shri Vishnu, who was sleeping, a female power that emerged from Shri Vishnu burnt Muran with Her eyes. Shri Vishnu was pleased & named the Goddess ‘Ekadashi’. Then He asked Her to ask for a blessing. Ekadashi requested Shri Vishnu that the people who observed a fast that day should be redeemed from their sins and should reach Vaikuntha. 

🚩 Vaikuntha Ekadashi occurs in the month of Margashirsha & 𝐰𝐡𝐞𝐧 𝐨𝐛𝐬𝐞𝐫𝐯𝐞𝐝, 𝐢𝐭 𝐫𝐞𝐥𝐞𝐚𝐬𝐞𝐬 𝐨𝐧𝐞 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐲𝐜𝐥𝐞 𝐨𝐟 𝐛𝐢𝐫𝐭𝐡 𝐚𝐧𝐝 𝐝𝐞𝐚𝐭𝐡. 𝐓𝐡𝐞 𝐕𝐚𝐢𝐤𝐮𝐧𝐭𝐡𝐚 𝐝𝐰𝐚𝐫𝐚 (𝐍𝐨𝐫𝐭𝐡 𝐝𝐨𝐨𝐫) 𝐨𝐟 𝐕𝐚𝐢𝐤𝐮𝐧𝐭𝐡𝐚 𝐢𝐬 𝐤𝐞𝐩𝐭 𝐜𝐥𝐨𝐬𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐫𝐨𝐮𝐠𝐡𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐲𝐞𝐚𝐫. 𝐈𝐭 𝐢𝐬 𝐨𝐩𝐞𝐧𝐞𝐝 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐝𝐚𝐲, 𝐬𝐨 𝐢𝐭 𝐢𝐬 𝐚𝐮𝐬𝐩𝐢𝐜𝐢𝐨𝐮𝐬 𝐭𝐨 𝐭𝐚𝐤𝐞 𝐝𝐚𝐫𝐬𝐡𝐚𝐧 𝐨𝐟 𝐒𝐡𝐫𝐢 𝐕𝐢𝐬𝐡𝐧𝐮 𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐝𝐚𝐲.

🚩 Devotees perform the Vaikuntha Ekadashi fast to get liberation from their sins and attain salvation. Devotees consider this day very auspicious and a popular belief says that 𝐭𝐡𝐨𝐬𝐞 𝐰𝐡𝐨 𝐝𝐢𝐞 𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐝𝐚𝐲 𝐚𝐫𝐞 𝐟𝐫𝐞𝐞𝐝 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐲𝐜𝐥𝐞 𝐨𝐟 𝐛𝐢𝐫𝐭𝐡 𝐚𝐧𝐝 𝐝𝐞𝐚𝐭𝐡 𝐚𝐧𝐝 𝐫𝐞𝐚𝐜𝐡 𝐕𝐚𝐢𝐤𝐮𝐧𝐭𝐡𝐚, 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐛𝐨𝐝𝐞 𝐨𝐟 𝐒𝐡𝐫𝐢 𝐕𝐢𝐬𝐡𝐧𝐮.




 Santoshkumar B Pandey at 10.00Am .

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