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Showing posts from July, 2020

Dravid(a) is a Sanskrit word : ‘wise people who always lived by water or people who are personification of ‘Flow of Knowledge’.

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What does the word "Dravida" mean? Dravid(a) is a Sanskrit word. The roots : Drav + Vid Drav - means water(liquid), Flow, Flowing Vid (like in Vid-vat or Vid-wan) knowledge, wisdom; Knowledgeable or Wise person In a verbal sense: it means ‘Flowing Knowledge’ From a Noun perspective: it means ‘Knowledgeable or wise people living by(along with) water (wise people who live near by water, water bodies, lakes, rivers, seas) Remember ‘Adi Shankaracharya’ introduced himself as ‘Dravida Putra’ - saying that he belongs to ‘wise people who always lived by water or people who are personification of ‘Flow of Knowledge’. At least 1200 years ago, the great Advaita philosopher Adi Shankara called himself a "Dravida Shishu" in the famous Sanskrit composition Soundarya Lahari praising Devi (75th shloka). So Dravida is not a 20th or 19th century concept, it existed millenia before Dravida Politics.  Basically as we travel south vindhyas, one will be coming to closure to water-bodies ...

जनेऊ पहनने का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण और नियम !

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जनेऊ पहनने का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण और नियम !  धार्मिक महत्व :  जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ मन मे आती है वो है धागा दूसरी चीज है ब्राम्हण ।। जनेऊ का संबंध क्या सिर्फ ब्राम्हण से है , ये जनेऊ पहनाए क्यों है , क्या इसका कोई लाभ है, जनेऊ क्या ,क्यों ,कैसे आज आपका परिचय इससे ही करवाते है ---- * जनेऊ_को_उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है ।। हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों (आप सभी को 16 संस्कार पता होंगे लेकिन वो प्रधान संस्कार है 8 उप संस्कार है जिनके विषय मे आगे आपको जानकारी दूँगा ) में से एक ‘उपनयन संस्कार’ के अंतर्गत ही जनेऊ पहनी जाती है जिसे ‘यज्ञोपवीतधारण करने वाले व्यक्ति को सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। उपनयन का शाब्दिक अर्थ है "सन्निकट ले जाना" और उपनयन संस्कार का अर्थ है ! "ब्रह्म (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाना" * हिन्दू_धर्म_में प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। हर हिन्दू जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे।ब्राह्मण ही नहीं समाज ...