वेदों जैसा कोई ग्रन्थ नहीं !
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वेदों जैसा कोई ग्रन्थ नहीं
———————————-वेदों के सामने अन्य मजहबी ग्रन्थ
तुच्छ हैं—-
(1.) डार्विन नामक ईसाई ने कहा :—-
दूसरों के अनाज को खाकर जिओ ।
हक्सले व भगवान महावीर ने कहा :—
जीओ और जीने दो ।
परंतु वैदिक साहित्य ने कहा :—
सबको सुखी बनाने के लिए जीओ,
सर्वे भवन्तु सुखिनः
(2.) बाइबिल ने कहा :—- जिसका काम
उसी के दाम ।
कुरान ने कहा :—- जहान खुदा का और
जिहाद इंसान करे ।
किंतु वेदों ने कहा: मेहनत इन्सान
की संपत्ति भगवान की यानी तेन
त्येक्तेन भुञ्जीथाः ।
(3.) बाइबिल ने कहा :— इसाई बनो
कुरान ने कहा :— मुसलमान बनो कुरान
मं. 1 सि.2
किंतु वेदों ने कहा :—- मनुष्य बन
जाओ —मनुर्भव जनया दैव्यं जनम्।
(4.) बाइबिल ने कहा :—- पढाई नौकरी के
लिए ।
कुरान ने कहा :—- पढ़ाई कुरान पढ़ने के
लिए ।
किन्तु वेदों ने कहा :—- पढ़ाई केवल
नैतिकता, ज्ञान और नम्रता के लिए
(5.) अरस्तू ने कहा :— राजनीति शासन
के लिए ।
कुरान ने कहा :—- शासन इस्लाम के
प्रचार के लिए ।
किन्तु मेरे वेदों ने कहा :—
राजनीति की अपेक्षा लोकनीति,
शासन की अपेक्षा अनुशासन,
तानाशाही की जगह संयम और अधिकार
के स्थान पर कर्तव्य पालन करें।
(6.) इसाइयों ने कहा :— परमाणु
हथियार नाकासाकी और
हीरोसीमा जैसे शहरों को नष्ट करने
के लिए ।
मुस्लिम आतंकियों ने कहा :—
परमाणु हथियार मिल जाएं
तो काफिरो को मिटाने के लिए ।
किंतु वेदों ने कहा :—- संपूर्ण
विज्ञान ही जनकल्याण के लिए—-
यथेमां वाचं
कल्याणीमदानी वा जनेभ्यः🌹❤🌷🌹
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